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सरकार और अन्ना हजारे के बीच पिछले दस दिन से जारी गतिरोध समाप्त होने के संकेत मिलने लगे हैं। सरकार ने गुरुवार की रात जन लोकपाल विधेयक के प्रमुख मुद्दों पर शुक्रवार को संसद में चर्चा कराने की घोषणा करके अन्ना हजारे के अनशन को समाप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाया।

भाजपा ने आज संप्रग पर आरोप लगाया कि वह भ्रष्टाचार के विरुद्ध अन्ना हजारे के आंदोलन के प्रति अपने रवैए को लगातर बदलकर अब कड़ा रुख अपना रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार कोई दु:साहस करने का प्रयास नहीं करे।

हजारे को लिखे पत्र में भाजपा अध्यक्ष ने कहा, वह यह जानकर ‘स्तब्ध’ हैं कि सरकार अन्ना पक्ष से किए गए वायदे से मुकर गई है।

गडकरी ने कहा कि देश को सरकार की ओर से यह आभास दिया जा रहा था कि अन्ना पक्ष के साथ वार्ता संतोषजनक ढंग से प्रगति पर है और आपसी सहमति वाला समाधान नजर आ रहा है। मैं यह समझने में असमर्थ हूं कि कहां गड़बड़ी हो गई। उन्होंने कहा, कहीं यह सरकार के भीतरी मतभेद का परिणाम तो नहीं है।

हजारे से अनशन समाप्त करने की भाजपा की अपील के बारे में सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी ने ऐसा इसलिए किया कि सरकार ने बताया कि समाधान पर सहमति हो गई है।

भाजपा प्रमुख ने कहा कि उनकी पार्टी मजबूत लोकपाल विधेयक के पक्ष में है और जनलोकपाल विधेयक इसका आधार बन सकता है। लेकिन साथ ही तुरंत स्पष्ट किया कि भाजपा इसके बनने के ‘प्रक्रियात्मक पचड़े’ में नहीं पड़ना चाहती है। (भाषा

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