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जल्दी कीजिए, अन्ना के पेट में बन रहा है अल्सर, सिर्फ लोकपाल से भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा-राहुल

अनशन पर बैठे अन्ना हजारे का अनशन यदि शीघ्र नहीं टूटा तो उनकी जिंदगी खतरे में पड़ सकती है! अनशन में जितनी अधिक देर होती जाएगी, उतना बड़ा जख्म उनके पेट के अंदर निर्मित होता चला जाएगा। अनशन टूटने के बाद भी इस जख्म को भरने में बहुत वक्त लगेगा, तब तक उनकी जिंदगी खतरे में ही रहेगी।

विशेषज्ञों का मानना है कि इतने दिनों के अनशन में उनके पेट में साइलेंट अल्सर का निर्माण हो चुका होगा। डॉक्टरों का कहना है कि अन्ना का अनशन यदि जल्द से जल्द नहीं टूटा तो उनका यह अल्सर बड़ा होता जाएगा और आगे जाकर फट भी सकता है। इससे उनकी जान भी जा सकती है। डॉक्टरों की राय है कि सरकार को जल्द से जल्द कुछ करना चाहिए, अन्यथा अन्ना की जिंदगी खतरे में प़ड़ सकती है।

जयपुर गोल्डन अस्पताल के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट व जिगर रोग विशेषज्ञ डॉ. कैलाश सिंगला के अनुसार, अन्नाको अनशन पर बैठे 11 दिन हो चुके हैं। इतने दिनों में उनके पेट में एसिड खाली पड़ा होगा और आंतें शिथिल पड़ चुकी होंगी। एसिड की वजह से साइलेंट अल्सर का निर्माण हो चुका होगा।

वास्तव में अनशन के सातवें दिन ही साइलेंट अल्सर का निर्माण शुरू हो जाता है। अधिक दिन भूखे रहने की वजह से इस अल्सर का आकार ब़ड़ा होता चला जाता है, जो कभी भी फट सकता है। इसके पेट के अंदर रक्तस्राव होने लगता है और जिंदगी खतरे में पड़ जाती है। साइलेंट अल्सर का लक्षण नहीं दिखता है, इसलिए यह अधिक खतरनाक है।

डॉ. सिंगला के अनुसार, अनशन समाप्त होने के एक सप्ताह बाद तक अन्नाकी जिंदगी पर खतरा बरकरार रहेगा। उन्हें दवा खानी पड़ेगी। यह सच है कि किटोन की मात्रा ब़ढ़ने से किडनी भी प्रभावित हो गया होगा, लेकिन यह अनशन समाप्त होने के तीसरे दिन से रिकवर हो जाएगा। परंतु साइलेंट अल्सर अधिक खतरनाक है। इसकी वजह से अनशन समाप्त होने के कई दिनों बाद तक कब्ज व पेट फूलने की शिकायत हो सकती है। अनशन टूटने के बाद उन्हें कुछ दिनों तक दवा पर रहना पड़ेगा।

फोर्टिस अस्पताल की मुख्य डायटीशियन डॉ. रुपाली दत्ता के अनुसार, अनशन समाप्त होना चाहिए। शुरुआत तरल पदार्थ से करना चाहिए। इसके लिए गन्ने का जूस, नारियल पानी, जूस आदि ठीक रहेगा।

यही नहीं, अनशन टूटने के 12 घंटे बाद तक उन्हें केवल तरल पदार्थ ही लेना चाहिए। इसके बाद दूसरे दिन से खिच़ड़ी, दलिया, दही आदि का सेवन करना चाहिए। तीसरे दिन जाकर चपाती व मूंग की दाल जैसे हल्के भोजन से खाने की शुरुआत करनी चाहिए। उन्होंने जितना वजन खो दिया है उसे हासिल करने में भी लंबा वक्त लगेगा। इसमें एक महीने तक का समय लग सकता है। जितनी जल्दी अनशन टूट जाए उतना बेहतर रहेगा।

रामलीला मैदान के सटे लोकनायक अस्पताल में अन्ना को भेजने की सरकारी तैयारी है। अनशन नहीं टूटने की स्थिति में सरकार लोकनायक अस्पताल में अन्ना को भेजेगी। इसकी सूचना अस्पताल प्रशासन को भेजी जा चुकी है।

प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, प्रशासन को स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अन्ना को भर्ती करने के लिए तैयार रहें। उन्हें किसी भी क्षण यहां भर्ती कराने के लिए लाया जा सकता है।

ज्ञात हो कि 16 अगस्त से भ्रष्टाचार के विरोध व जनलोकपाल लाए जाने को लेकर समाज सेवी अन्ना हजारे अनशन पर बैठे हैं। सरकार की असंवेदनशीलता की वजह से अन्ना का वजन लगातार कम होता जा रहा है और रक्त व यूरिन में किटोन की मात्रा बढ़ गई है। (भाषा)

सिर्फ लोकपाल से भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा-राहुल भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत लोकपाल विधेयक लाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे पक्ष द्वारा सरकार और संसद पर बनाए जा रहे जबरदस्त दबाव के बीच कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने आगाह किया कि सिर्फ लोकपाल से भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा और भी कई प्रभावकारी कानूनों की जरूरत है। ऐसे कानून जो कि कुछ जरूरी मसलों को लोकपाल के साथ ही साथ संबोधित करें।

लोकसभा में शून्यकाल के दौरान विपक्ष के भारी शोरशराबे और टोकाटोकी के बीच राहुल गांधी ने हजारे पक्ष पर परोक्ष निशाना साधते हुए कहा कि व्यक्तियों के रूप में लोगों ने देश को महान योगदान किए हैं।

उन्होंने देश की आजादी और विकास के लिए लोगों को गोलबंद किया, लेकिन व्यक्तिगत फरमान को भले ही उनका इरादा कितना ही नेक क्यों न हो, लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर नहीं करना चाहिए। संसद की सर्वोच्चता पर किसी भी प्रकार की आंच आना लोकतंत्र के लिए खतरनाक होगा।

उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया अकसर बहुत लंबी और परेशान करने वाली होती है, लेकिन ऐसा इसलिए है ताकि ये समग्र और न्यायोचित हो। यह एक प्रतिनिधित्व वाला और पारदर्शी मंच उपलब्ध कराती है जहां विचार कानून में बदलते हैं।

सत्ता पक्ष के जबरदस्त समर्थन और विपक्ष के जोरदार विरोध के बीच राहुल गांधी ने कहा कि संसद की सर्वोच्चता की रक्षा के लिए स्थापित नियंत्रण एवं संतुलन की व्यवस्था में निर्वाचित सरकार के तंत्र से भिन्न कोई चतुराई भरी घुसपैठ लोकतंत्र के लिए खतरनाक परंपरा साबित होगी।

सदन में प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह, सदन के नेता प्रणब मुखर्जी, विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज तथा वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और स्पीकर दीर्घा में मौजूद प्रियंका गांधी की मौजूदगी में राहुल ने ललकारते हुए कहा कि आज प्रस्तावित कानून भ्रष्टाचार के विरूद्ध है। कल ये निशाना किसी और चीज पर हो सकता है। यह हमारे समाज के बहुलवाद और लोकतंत्र को निशाना बना सकता है।

कांग्रेस की ‘यंग ब्रिगेड’ से घिरे राहुल ने अन्ना हजारे के जन लोकपाल विधेयक से एक कदम आगे जाते हुए सुझाव दिया कि क्यों न लोकपाल को भारतीय निर्वाचन आयोग की तरह, संसद को जवाबदेह संवैधानिक इकाई जैसा बना दिया जाए। मैं समझता हूं कि समय आ गया है कि जब हम इस विचार पर गंभीरता से मंथन करें।

उन्होंने अपने सुझाव के साथ ही कहा कि हम कानूनी लोकपाल की बात कर रहे हैं लेकिन हमारी बहस लोकपाल की जनता के प्रति जवाबदेही और इसके खुद के भ्रष्ट होने के खतरे के बिंदु पर आकर थम जाती है।

राहुल ने कहा कि कानून और संस्थान अपने आप में काफी नहीं हैं। भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए प्रतिनिधित्वकारी, समावेशी और सुगम पहुंच वाले लोकतंत्र की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम से मैं बेहद दुखी हूं। हालात के कई पहलुओं से मुझे गहरी पीड़ा हुई है।

विपक्ष के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा और अनंत कुमार सहित भाजपा के लगभग सभी सदस्यों की भारी टोकाटाकी के बीच कांग्रेस महासचिव ने कहा कि मैडम स्पीकर, हम केवल चाहने भर से अपने जीवन से भ्रष्टाचार को समाप्त नहीं कर सकते हैं। इसके लिए एक व्यापक कार्रवाई की रूपरेखा और सतत राजनीतिक कार्यक्रम की जरूरत होगी, जिसे शासन के उच्च से लेकर निचले, हर स्तर का समर्थन प्राप्त हो। इससे भी ज्यादा इसे राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि हम सब जानते हैं कि भ्रष्टाचार चारों ओर है। यह हर स्तर पर मौजूद है। गरीबों पर इसका सबसे ज्यादा बोझ है और हर भारतीय इससे निजात पाना चाहता है।

राहुल ने कहा कि एक प्रभावकारी लोकपाल कानूनी तौर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का माध्यम है। किन्तु सिर्फ लोकपाल भ्रष्टाचारहीन आचरण के लिए पर्याप्त विकल्प नहीं है। कई प्रभावकारी कानूनों की जरूरत है। ऐसे कानून जो कि कुछ जरूरी मसलों को लोकपाल के साथ ही साथ संबोधित करें।

भ्रष्टाचार से लड़ाई के हजारे के तरीके से परोक्ष असहमति जताने के साथ ही राहुल ने इस बात को स्वीकार किया कि चारों ओर देश में जो भ्रष्टाचार फैला है, उसके प्रति उपजे रोष को अन्नाजी ने आवाज दी है। मैं इसके लिए उनका धन्यवाद करता हूं।

राहुल ने हालांकि अन्ना के आंदोलन पर सवाल सा उठाते हुए कहा कि पिछले दिनों की घटनाओं का साक्षी होने पर कदाचित ऐसा प्रतीत होता है कि एक कानून के बन जाने से जैसे पूरे समाज से भ्रष्टाचार मिट जाएगा। मुझे इस बात पर गहरा संदेह है। उन्होंने कहा कि एक प्रभावकारी लोकपाल कानूनी तौर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का माध्यम है लेकिन सिर्फ लोकपाल भ्रष्टाचारहीन आचरण के लिए पर्याप्त विकल्प नहीं है। (भाषा)

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